नई दिल्ली [जाब्यू]। राजनीतिक जरूरतों की वजह से उत्तर प्रदेश में एक-दूसरे की धुर विरोधी सपा और बसपा रेल घूस कांड की चपेट में आए रेल मंत्री पवन कुमार बंसल पर भी बंट गई हैं। संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे दोनों दलों में से सपा ने जहां बंसल का इस्तीफा मांगा है, वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने इस्तीफे की मांग को गैर जरूरी करार दिया है।
भाजपा समेत अन्य विपक्षी दल रेल मंत्री के इस्तीफे के लिए दबाव बढ़ा रहे हैं। सपा महासचिव व राज्यसभा सदस्य प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने भी सोमवार को संसद भवन परिसर में पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए रेल मंत्री को खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने आगे जोड़ा, यह बहुत गंभीर मामला है। बंसल को इस्तीफा देना होगा। सरकार उन्हें बचाने की कोशिश जरूर कर रही है, लेकिन उन्हें जाना होगा। बंसल मामले में सपा प्रमुख मुलायम सिंह से भी सवाल किया गया। उन्होंने कहा कि जब पार्टी महासचिव इस बारे में बोल चुके हैं तो उन्हें इस पर कुछ और नहीं कहना है।
इस मामले में बसपा के रुख के बारे में पूछे जाने पर मायावती ने कहा, रेल घूस कांड में सीबीआइ जांच पूरी हुए बगैर बंसल का इस्तीफा मांगना ठीक नहीं है। मामले की जांच सीबीआइ कर रही है। उसमें देरी नहीं होनी चाहिए। जितनी जल्दी हो सके रिपोर्ट देश के सामने आनी चाहिए। यह पूछे जाने पर कि संप्रग सरकार के घटक दलों के ए राजा और दयानिधि मारन जैसे दूसरे मंत्रियों के मामले में तो उनके इस्तीफे तुरंत ले लिए गए, जबकि कांग्रेस से जुड़े कानून मंत्री अश्विनी कुमार और रेल मंत्री बंसल को बचाया जा रहा है। मायावती ने यह कहकर पल्ला झाड़ा कि बसपा संप्रग का घटक दल नहीं है। वह तो सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है।