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ऐसा खाना, न-बाबा-न

स्वास्थ्य और भोजन, देखी गयी [ 16 ] , रेटिंग :
     
Saima, Star Live 24
Tuesday, May 06, 2014
पर प्रकाशित: 15:44:16 PM
टिप्पणी

नई दिल्ली।। चुभती गर्मी से राहत पाने के लिए बाहरी चीजों को तो हम सभी तवज्जों देते हैं लेकिन खाने को भूल जाते हैं, जबकि मौसम के मुफीद खाना हमारी सेहत के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। गर्मियों में शरीर में पित्त बढ़ जाता है, जिससे एसिड बनने लगता है। और पेट में एसीडिटी की समस्या होने लगती है। इससे निपटने के लिए ठंडी चीजें खाना ज्यादा बेहतर माना जाता है।

पानी : गर्मियों में पसीने से सबसे ज्यादा नुकसान शरीर को पानी और नमक का होता है। ऐसे में डी - हाइड्रेशन से बचने के लिए रोजाना 10-15 गिलास पानी पीना जरूरी है, कम पानी पीने से यूटीआई यानी यूरीन ट्रैक इन्फेक्शन भी हो सकता है। गुनगुना, नॉर्मल या हल्का ठंडा पानी पीने की कोशिश करें, चिल्ड पानी पीना सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। 

नींबू पानी : गर्मियों में जितना मुमकिन हो , नींबू पानी पीना चाहिए। नीबू पानी में थोड़ा नमक या थोड़ी चीनी मिलाना बेहतर है। इससे शरीर से निकले सॉल्ट्स की भरपाई होती है।

नारियल पा.नी : नारियल पानी को मां के दूध के बाद सबसे बेहतर और साफ पेय माना जाता है। नारियल पानी प्रोटीन और पोटैशियम का अच्छा सोर्स है। इसका कूलिंग इफेक्ट भी काफी अच्छा है , इसलिए ये एसिडिटी और अल्सर में भी कारगर है।

छाछ : छाछ में प्रोटीन खूब होते हें। ये शरीर के टिश्यूज को हुए नुकसान की भरपाई करते हैं। छाछ में मीठे के बजाए काला नमक , काली मिर्च , भुना जीरा डालकर पीना काफी फायदेमंद माना जाता है।

वेजिटेबल जूस : जूस पीने से बेहतर है सब्जियां खाना। फिर भी जो लोग सब्जियों का जूस पीना चाहते हैं , वे घिया , खीरा , आंवला , टमाटर का जूस मिलाकर पी सकते हैं। 

फ्रूट जूस : जूस में सिर्फ फ्रैकटोज होते हैं , जबकि साबुत फल में फाइबर होता है , इसलिए जूस के मुकाबले साबुत फल खाना हमेशा बेहतर है। जूस जब भी पिएं, ताजा ही पिएं। रखा हुआ जूस पीना सेहत के लिए अच्छा नहीं है। जूस को गरम करने से भी उसमें न्यूट्रिशनल वैल्यू कम होती है। गर्मियों में मौसमी या माल्टा का जूस काफी फायदेमंद है। इसी तरह, तरबूज का जूस गर्मियों का बेहतरीन पेय है लेकिन जितना मुमकिन हो, तरबूज जूस घर का ही पिएं। बाहर के जूस में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

पैक्ड जूस : जब तक जरूरी न हो, पैक्ड जूस न पिएं। इनमें शुगर काफी ज्यादा होती है और प्रिजर्वेटिव भी खूब होते हैं। जो आपको फ्रेश जूस की तरह ताजगी और तंदरुस्ती दे पाने में नाकाम है।

रेडीमेड शरबत : मार्केट में बने बनाए तमाम शरबत आते हैं जो आमतौर पर ज्यादा फायदेमंद नहीं हैं। चीनी ज्यादा होने की वजह से ये मोटापा बढ़ाते हैं। हालांकि सॉफ्ट ड्रिंक से बेहतर होते हैं , खासकर हर्बल शरबत। 

मिल्क शेक : मिल्क शेक डबल टोंड दूध का बनाएं। शेक में फल और चीनी कम डालें , ताकि कैलरी कंट्रोल में रहें। शेक के साथ डाई - फ्रूट और आइसक्रीम न लें। खासकर मार्केट में जो शेक में ड्राइफ्रूट डालकर दिए जाते हैं , उनकी क्वॉलिटी अच्छी नहीं होती। शेक को बनाकर नहीं रखना चाहिए। केला और सेब का शेक बनाकर रखने से ऑक्सिडाइज्ड हो जाता है। 

आम पना : आम पना गर्मियों का खास ड्रिंक है। कच्चे आम की तासीर ठंडी होती है। टेस्ट से भरपूर आम पना विटामिन-सी का अच्छा सोर्स है। ये स्किन और पाचन, दोनों के लिए अच्छा है। इसे लंबे समय तक रखा जा सकता है। 

बेल का शरबत : बेल का शरबत एसिडिटी और कब्ज, दोनों में असरदार है। कच्चे बेल का शरबत लूज मोशंस को रोकता है तो पके बेल का शरबत कब्ज को ठीक करता है। इसका कूलिंग इफेक्ट भी काफी अच्छा होता है। ये अल्सर को भी ठीक करता है। 

गर्मियों में जो भी खाएं,ध्यान रहे कि वो खाना हल्का हो। उसमें फैट कम हो। गर्मियों में भारी फूड आइटम आसानी से नहीं पचते। लंच और डिनर में हल्का और जल्दी पचनेवाले खाने को ही तवज्जों दें।

फास्ट फूड या स्नैक्स :

स्नैक्स में भेलपुरी, ढोकला, चिवड़ा,  खांडवी, ब्राउन राइस का पोहा जैसे भाप में पकी चीजें खाएं। ये लाइट भी होते हैं और टेस्टी भी। 

अंडा और नॉनवेज

गर्मियों में हफ्ते में दो बार से ज्यादा नॉनवेज या अंडा न खाएं। इन्हें भी उबालकर या भाप में पकाकर खाएं। नॉनवेज में मछली या चिकन ले सकते हैं। गर्मी करे हिसाब से मटन काफी हैवी होता है। उससे बचें। नॉनवेज को देसी घी में बनाने की बजाय दही में मेरिनेट करके बनाएं। 

घी और तेल

गर्मियों में घी और तेल का इस्तेमाल कम करें। देसी घी, वनस्पति घी के अलावा सरसों का तेल और ऑलिव ऑयल भी कम खाएं। ये गर्म होते हैं। राइस ब्रैन, नारियल, सोयाबिन का तेल खाना ज्यादा फायदेमंद है। 

आइसक्रीम 

गर्मियों की कल्पना भी आइसक्रीम के बिना अधूरी है। आइसक्रीम को पूरी तरह जंक फूड की कैटिगरी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि इसमें दूध ड्राइफ्रूड्स भी होते हैं लेकिन हाई कैलरी, हाई शुगर और प्रिजर्वेटिव होने की वजह से ये सेहत के लिए नुकसान दायक भी साबित हो सकती है लिहाजा हफ्ते में दो बार से ज्यादा आइसक्रीम बिल्कुल न खाएं।

फ्रूट चाट

फ्रूट चाट जितनी स्वाद के लिहाज से अच्छी है, उतनी सेहत के लिहाज से नहीं। वजह यह है कि सारे फलों का डायजेशन अलग-अलग वक्त पर होता है। इनका मिजाज भी अलग-अलग होता है। मसलन , केला अल्कलाइन है तो संतरा एसिडिक। दोनों को एक साथ खाने से डाइजेशन सही नहीं होता। अगर फ्रूट सलाद खाना ही चाहते हैं तो इसमें ऐसे फल रखें, जिनमें कार्ब और फैट ज्यादा न हों। मसलन केला, आम या चीकू कम रखें।

तला-भुना

गर्मियों में तला-भुना नहीं खाना चाहिए। तली-भुनी चीजें शरीर में आलस पैदा करती हैं। इसकी बजाय उबला, भुना या भाप में पका खाना खाएं। गर्म मसाले कम कर दें। लाल मिर्च की बजाय काली मिर्च का इस्तेमाल करें। 

चाय-कॉफी

चाय-कॉफी कम पिएं। इनसे बॉडी डी-हाइड्रेटेड होती है। ग्रीन-टी पीना बेहतर है। 

स्मोकिंग / अल्कोहल

स्मोकिंग कम करें। अल्कोहल बिल्कुल न लें या फिर कम लें। लोग मानते हैं कि बियर ठंडी होती है, ऐसा सोचना गलत है। ज्यादातर बियर में ग्लिसरीन होती है, जिससे शरीर डी-हाइड्रेटेड होता है। 

ड्राइफ्रूट्स

गर्मियों में 5-10 बादाम रोजाना खा सकते हैं। इन्हें रात भर भिगोकर खाना चाहिए। बाकी ड्राइ-फ्रूट्स को गर्मियों में खाने की सलाह नहीं दी जाती। क्यों की ड्राइफ्रूट्स का तासीर गर्म होता है। 

शहद

शहद की तासीर भी काफी गरम है। इसे सोच समझकर कम मात्रा में लें। या ठंडी चीजों में मिलाकर शहद का सेवन करें। 

फ्रोजन फूड

फ्रोजन फूड इमरजेंसी में ही खाना चाहिए। फ्रोजन फूड हाइजीन और टेंपरेचर के हिसाब से सही नहीं होता। 

बासी खाना

बासी खाने से बचें। इसमें बैक्टीरिया पनपने की आशंका काफी ज्यादा होती है। एक रात से ज्यादा पुराना खाना न खाएं। गर्मियों में कोई भी खाना 7-8 घंटे तक ही ठीक रहता है।

गर्मियों में बजाए तला-भुना और ठोस खाना खाने के कच्ची सब्जियों और फलों का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। लेकिन फलों के खोने से पहले आपको कुछ बातों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है मसलन फलों को ज्यादा देर पहले काटकर न रखें। इससे उनका पानी उड़ जाता है और न्यूट्रिशन वैल्यू कम होती है। इसके अलावा पोटाश और दूसरी आप्रकृतिक प्रक्रियाओं से पकाए गए फल भी सेहत के लिए नुकसान दायक साबित हो सकते हैं।  इसके अलावा खरबूजे और तरबूज में सैक्रीन के इंजेक्शन लगाकर उन्हें जबरन मीठा बनाया जाता है, ध्यान रहे सैक्रीन स्लो प्वाइज़न की तरह है जो धीरे-धीरे शरीर पर असर दिखाता है।

फल खाएं पर ज़हर नहीं 

मौसमी 

मौसमी खाना सेहत के लिहाज से हमेशा बढ़िया होता है। जिन फलों के छिलके खा सकते हैं , उन्हें छिलके समेत ही खाएं। फलों को ब्रेकफास्ट से पहले , शाम में 4 बजे के आसपास खाना अच्छा है। फल खाने का तरीका यही है कि इन्हें खाना पचने के बाद खाएं। खाने और फलों के बीच 2-3 घंटे का गैप रखें। खाने से एक घंटा पहले भी खा सकते हैं लेकिन भरे पेट न खाएं और न ही खाने के साथ खाएं।

तरबूज 

गर्मियों के लिए तरबूज बहुत अच्छा है, लेकिन तरबूज के साथ पानी न पिएं। दोपहर के वक्त तरबूज खाना और भी अच्छा है क्योंकि उस वक्त तक शरीर में पानी की जरूरत बढ़ जाती है। ऐसे में तरबूज बॉडी के डी-हाइड्रेशन को कम करता है। तरबूज को कभी भी खाने के ऑप्शन के तौर पर न लें क्योंकि इससे पूरे पोषक तत्व नहीं मिलते। तरबूज को दूसरे फलों के साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें काफी पोटैशियम, प्रोटीन, पानी और फाइबर होता है। 

आम  

गर्मियों के दिनों में आम फलों का राजा होता है लेकिन इसे ज्यादा नहीं खाना चाहिए। बाजार के आमों के मुकाबले घर में पकाकर आम खाना बेहतर है। घर पर पकाने के लिए आम को अखबार में लपेटकर तीन-चार दिन के लिए छोड़ दें। बाजार से आम खरीदते हैं तो ज्यादा मुमकिन है कि वो हाइड्रोजन सल्फाइड से पकाया गया हो। ऐसे आम की तासीर काफी गरम हो जाती है। आम में विटामिन और मिनरल्स के अलावा कैलरी और शुगर काफी होती हैं। जिन्हें वजन या शुगर की प्रॉब्लम है, उन्हें आम बहुत कम खाना चाहिए। आम खाने के बाद ठंडा दूध या छाछ पीना अच्छा है। इससे आम शरीर में जाकर गर्मी नहीं करता। 

बेर और चेरी

गर्मियों में बेर और चेरी भी खूब आते हैं। हर फल में अलग-अलग विटामिन होते हैं, इसलिए थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सभी को खाना अच्छा है। जैसे कि बेर में बॉरोन और सल्फर जैसे माइक्रो न्यूट्रिएंट काफी होते हैं। लेकिन जो लोग एसिडिक हैं, उन्हें इन्हें कम ही खाना चाहिए। लीची में शुगर आम से भी ज्यादा होती है। बड़ों की बजाय ये बच्चों के लिए अच्छी है। 

अंगूर

डी-हाइड्रेशन होने पर अंगूर से काफी मदद मिलती है। अंगूर फेफड़ों के लिए बहुत अच्छे होते हैं। लो बीपी या लो शुगर वालों को इन्हें खाना चाहिए। खाने और अंगूर खाने के बीच कुछ फासला रखें। इसमें भी शुगर काफी होती है, लिहाजा इन्हें लिमिट में खाएं। 

सेब

सेब वैसे तो साल भर आता है और इसे कभी भी खा सकते हैं लेकिन गर्मियों के मुकाबले इसे सर्दियों में खाना बेहतर है। एसिडिटी के शिकार लोगों को सेब कम खाना चाहिए। जो खाना चाहते हैं , वे छिलके समेत नमक के साथ खाएं। 

केला

केला की तासीर ठंडी है। इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो शरीर के सॉल्ट्स को बैलेंस करते हैं। मोटे लोगों और शुगर के मरीजों को केला नहीं खाना चाहिए। 


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