लंदन। वर्तमान में वायरस खोज प्रणाली उन वायरसों की खोज करती है जो इंटरनेट या कंप्यूटर में मौजूद हैं। लेकिन कॉफी शॉप या वाईफाई सुविधा वाले एयरपोर्ट के कम सुरक्षित होने की वजह से इन पर वायुवाहित (एयरबॉर्न) संक्रामक वायरस बुरी तरह हमला कर सकते हैं। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल के शोधकर्ताओं ने देखा कि वाईफाई नेटवर्क ऐसे वायरस से संक्रमित हो सकते हैं जो घनी आबादी वाले क्षेत्रों में कुशलतापूर्वक घूम सकते हैं जिस तरह सर्दी या जुकाम के वायरस घूमते हैं।
टीम ने बेलफास्ट और लंदन में एक प्रयोगशाला सेटिंग में एक साइबर हमला किया और वहां कमीलिअन नाम का एक वायरस पाया गया। यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रॉनिक्स में नेटवर्क सुरक्षा के प्रोफेसर एलेन मार्शल ने बताया कमीलिअन ने वायुजनित वायरस की तरह काम किया वह एक्सेस प्वाइंट्स (एपी) के जरिए वाईफाई नेटवर्क में यात्रा कर रहा था।
अधिक घनी आबादी वाले इलाकों में एपी और करीब होते हैं। जिसका मतलब है कि वायरस का प्रचार अधिक तेजी से किया जा सकता है। 10-50 मीटर की त्रिज्या में जुड़ने वाले नेटवर्कों में यह खास तौर से ऐसा हो सकता है। अधिकतर एक्सेस प्वाइंट्स हालांकि पर्याप्त रूप से कूट किए हुए और पासवर्ड से सुरक्षित होते हैं, लेकिन कॉफी शॉप और हवाईअड्डे जैसे खुले वाईफाई प्वाइंट्स में ये वायरस आसानी से जा सकते हैं। मार्शल ने चेतावनी देते हुए कहा वाईफाई कनेक्शन बहुतायत में कंप्यूटर हैकरों का लक्ष्य होते हैं।
यूराशिप जर्नल ऑन इंफार्मेशन स्क्यिोरिटी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि इस अध्ययन में आंकड़ों से शोधकर्ता अब ऐसी तकनीक विकसित करने में सक्षम हैं जो हमले की संभावना को पहचान ले।