नई दिल्ली। जैकी भगनानी की यह फिल्म उनकी पिछली कुछ फिल्मों से बेहतर है, क्योंकि उन्हें एक सामान्य भूमिका मिली है। परफॉरमेंस और कंटेंट के मामले में भी तमिल फिल्म नाडोडीगाल का यह हिंदी वर्जन उत्कृष्ट तो नहीं, लेकिन कुछ हद तक कारगर दिखता है।
'रंगरेज' पूरी तरह युवाओं की फिल्म है। चार दोस्त जो एक-दूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। इन्हीं में से एक हैं ऋषि देशपांडे (जैकी भगनानी) जो अपने दो दोस्तों पकया (विजय वर्मा) और वीनू (अमितोष नागपाल) के साथ मिलकर तीसरे दोस्त के अंतर्जातीय विवाह की योजना बनाते हैं। उनको अच्छे से पता है कि उनके दोस्त की प्रेमिका किसी नेता की बेटी है, ऐसे में उनकी जान पर जोखिम हो सकता है लेकिन फिर भी वे ऐसा करते हैं। फिल्म का संदेश साफ है कि दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है, जिसको निभाने के लिए लोग कुछ भी कर गुजरते हैं।
फिल्म में थिएटर बैकग्राउंड से जुड़े अभिनेताओं ने अच्छा अभिनय किया है। जिसमें फिल्म इंस्टीट्यूट पुणे के विजय वर्मा और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के अमितोष नागपाल प्रमुख हैं। राजपाल का अभिनय अब किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। पंकज त्रिपाठी ने राजनेता के किरदार में अपनी सधी हुई बोली से संवादों में जान फूंक दी हैं। पंकज की प्रतिद्वंद्वी नेता के किरदार में लुशीन दुबे ने अंग्रेजी मिश्रित भोजपुरी बोलकर परेशानी बढ़ाई है, लेकिन पंकज के आगे उनकी भंगिमाओं पर नजर नहीं टिकती।
फिल्म की कहानी में नयापन नहीं है, लेकिन सह-कलाकाराें के उत्कृष्ट अभिनय ने इसमें जान डाल दी है। प्रियदर्शन ने इस बार भी निर्देशन के सेट पैटर्न को फॉलो किया है, लेकिन तमिल और हिंदी फिल्मों के हिसाब से थोड़ी-बहुत चूक भी हुई है। मसलन उत्तर प्रदेश का वह कौन सा शहर है, जहां नीम के पकौड़े मिलते है? संतोष सिवन इंडस्ट्री के मशहूर कैमरामैन हैं और इस फिल्म के ठीक पहले मंदिर में एक लंबा चेजिंग सीक्वेंस हैं, जो करीब दस मिनट लंबा है। संतोष का हुनर यहां अपने चरम पर है।
निर्देशक- प्रियदर्शन
अभिनय-जैकी भगनानी, राजपाल यादव, प्रिया आनंद, पंकज त्रिपाठी, लुशीन दुबे, विजय वर्मा और अमितोष नागपाल
अवधि- 140 मिनट
** 2 स्टार
[दुर्गेश सिंह]