नई दिल्ली ।। एंट्रेंस एग्जाम में जैसे-जैसे कॉम्पिटिशन बढ रहा है, वैसे-वैसे स्टूडेंट्स में औपचारिक पढाई से ‘ब्रेक’ लेकर उनकी तैयारी का चलन भी बढा। अगर आप भी यह ब्रेक ले रहे हैं तो पूरी तैयारी के साथ लें ताकि साल बर्बाद न हो।
भास्कर ने बारहवीं में पूरी मेहनत करते हुए इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम दिए। वह इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए कोचिंग भी करता रहा और बारहवीं की पढाई भी। लेकिन न तो आईआईटी में सलेक्शन हुआ, न ही एआईईईई में बहुत अच्छी रैंक आई। वह किसी कॉलेज में एडमिशन नहीं ले पाया। अब वह परेशान हो रहा है। प्राइवेट कॉलेजेज की फीस भरने लायक उसके घर का बजट नहीं है और इंजीनियरिंग के अलावा और कुछ उसने सोचा नहीं। वह सोचता है कि उसे एक साल ‘बे्रक’ लेकर अगले साल दोबारा एग्जाम देने के लिए तैयारी करनी चाहिए।
ऐसी स्थिति आज सिर्फ भास्कर के साथ ही नही, बहुत से स्टूडेंट्स के साथ है। सिर्फ साइंस ही नहीं, हर फील्ड के स्टूडेंट्स के साथ यही बात है। कॉमर्स, मेडिकल, लॉ ऐसे कितने ही फील्ड्स हैं, जिनमें बेहतर कॉलेजेज और पसंदीदा कोर्सेस में दाखिले के लिए स्टूडेंट्स ने तैयारी की होगी, लेकिन एग्जाम में अच्छी रैंक न आने पर अब वे खुद को काफी कमजोर महसूस कर रहे होंगे। सवाल है कि क्या उन्हें बारहवीं के बाद के इस साल में दोबारा तैयारी के लिए ‘ब्रेक’ लेना चाहिए? इस तरह का ‘ब्रेक’ लेकर वे खुद को आगे वाली एग्जाम के लिए अच्छी तरह तैयार कर पाएंगे?
ब्रेक’ के सही मतलब को समझं
कॉलेज की रेगुलर पढाई करने के बजाए सेल्फ स्टडी या कोचिंग की मदद से अगले साल होने वाले एग्जाम की तैयारी करने के लिए स्टूडेट्स ‘ब्रेक’ लेते हैं। उनका मानना होता है कि बारहवीं के दौरान उन पर बोर्ड एग्जाम्स का दबाव थ, इसलिए वे अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाए। एक साल ‘ब्रेक’ के दौरान वे अपना पूरा ध्यान एंट्रेस एग्जाम की तैयारी पर लगाकर अगले साल अच्छी रैंक हासिल करने का लक्ष्य तय करके ‘ब्रेक’ लेने की सोचते हैं। कई बार स्टूडेंट्स पेरेंट्स को राजी करके पूरी तैयारी के साथ ब्रेक लेते हैं तो कुछ के ‘ब्रेक’ लेने से पूरे साल घर में तनाव का माहौल बना रहता है। ऐसे में ‘ब्रेक’ का फैसला नुकसान ही देता है।
सोच लें दोबारा -
अगर बारहवीं में पूरी मेहनत के बाद भी आप एंट्रेंस में अच्छा परिणाम नहीं नहीं ला पाए है तो यह मौका है कि आप अपने लक्ष्य के बारे में दोबारा सोचें। हो सकता है कि किसी एंट्रेंस में असल में आपकी रुचि ही न हो फिर भी लोगों को देखकर आपने उसके लिए तैयारी की हो। अगर किसी दूसरी स्ट्रीम के कोर्स में आपकी रुचि जाग रही है तो उसे अपनाने से न शरमाएं। अपने पेरेंट्स से खुलकर बात करें। आपको यकीन है कि अगले साल आप अच्छा कर पाएंगें तो पूरी तैयारी के साथ ‘ब्रेक’ ले लें।
साल को बर्बाद न होने दें -
पूरे साल के दौरान आप पर उन स्टूडेंट्स से ज्यादा प्रेशर होगा, जो कि बारहवीं का एग्जाम दे रहे होंगे। इसलिए ‘ब्रेक’ लेते समय खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लें कि बेशक आप स्कूल नहीं जा रहे हैं, लेकिन आपको अब और ज्यादा पढाई करनी है। अगर आप अगले साल दोबारा एंट्रेंस देने के इरादे से ही ‘ब्रेक’ ले रहे हैं, तो आपको कोचिंग और सेल्फ स्टडी दोनों ही जगह पर कडी मेहनत करनी होगी।
खुद को मानसिक रूप से तैयार करें -
‘ब्रेक’ लेने वाले स्टूडेंट्स के साथ एक और बडी परेशानी रहती है- लोगों की बातें और ताने। अगर आपने अपने परिवार के साथ विचार विमर्श करके ‘ब्रेक’ का फै सला किया है तो अपने दिमाग को इन बातों से परेशान न होने दें। खुद के फैसले पर यकीन रखें और अपना ध्यान अपने लक्ष्य से भटकने न दें। अगर लोगों के द्वारा दिखाए गए डर आप पर हावी होने लग जाएंगे। तो आप कभी भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। अगला साल आने से पहले ही आपका यकीन खुद पर से उठ जाएगा। इसलिए कोशिश करें कि ‘ब्रेक’ के फै सले से कहीं आप ‘ब्रेक’ न हो जाएं।