मेरठ : लगता है कि भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों के सेवाभाव को ही लकवा मार गया है। अस्पतालों के इमरजेंसी वार्डो में आए दिन संवेदना जख्मी होती है और स्वास्थ्य विभाग बेरहम बना रहता है। बुधवार को एक घायल युवक को एंबुलेंस लेकर मेडिकल कालेज से जिला अस्पताल का चक्कर लगाती रही, किंतु कोई डाक्टर उसे देखने नहीं आया। खून में लथपथ युवक दर्द से तड़पता रहा और स्वास्थ्य कर्मियों के बेशर्म रवैये को पथराई आंखों से देखता रहा। लोगों की तीखी प्रतिक्रिया के बाद उसे इंसुलिन वार्ड में डालकर पल्ला छुड़ा लिया गया।
बुधवार दोपहर करीब एक बजे एक एंबुलेंस बुरी तरह से घायल युवक को लेकर मेडिकल कालेज पहुंची। इमरजेंसी वार्ड में नियुक्त कर्मचारियों ने मरीज को देखा तक नहीं। ड्राइवरों के कई बार कहने पर इमरजेंसी वार्ड स्टाफ ने उन्हें जिला अस्पताल भेज दिया। एंबुलेंस करीब एक घंटे तक जिला अस्पताल में इमरजेंसी के बाहर खड़ी रही, किंतु किसी कर्मी व चिकित्सक ने खून से लथपथ युवक को उतारने की जहमत नहीं उठाई। मुंह से निकली खून की धार सूख चुकी थी और युवक दर्द से तड़प रहा था। कुछ लोगों ने उसकी तबीयत देखते हुए इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटीरत डाक्टरों को सूचित भी किया पर उसे अनसुना कर दिया गया। एंबुलेंस चालक ने माना कि घायल युवक के साथ विभाग का रवैया देखकर वह स्वयं विचलित हो गया।। जिला अस्पताल के सीएमएस डा. एएस राठौर का कहना है कि स्टाफ ने उन्हें ऐसी किसी केस के बारे में नहीं बताया। फिलहाल घायल अवस्था में लाए गए मरीज को घंटों वार्ड से बाहर रखना गंभीर मामला है, जिसकी गुरुवार को जांच कराएंगे।