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'पुड़िया' का राज खोलेंगे फौजीकुत्ते

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, Star Live 24
Thursday, May 09, 2013
पर प्रकाशित: 02:37:52 AM

रवि प्रकाश तिवारी, मेरठ : सेना के जो खोजी कुत्ते अब तक माइंस डिटेक्शन, विस्फोटकों की पहचान, आपदाओं में राहत कार्य पहुंचाने के लिए एक मिसाल बनकर उभरे हैं, अब वे 'पुड़िया' का राज भी खोलेंगे। सेना की जरूरतों को देखते हुए नारकोटिक्स की पहचान करने के लिए कुत्तों को प्रशिक्षित करने की तैयारी की जा रही है। सेना के लिए कुत्तों को प्रशिक्षित करने वाले मेरठ छावनी स्थित रिमाउंट वेटनरी कोर (आरवीसी) सेंटर एंड कालेज ने यह प्रस्ताव अपने निदेशालय को दिया है। समय की मांग और बढ़ती जरूरत को देखते हुए जल्द ही इस दिशा में आरवीसी को हरी झंडी मिलने की संभावना है।

सरहद पार से आने वाले

'खेप' की खोलनी है पोल

सैन्य खुफिया सूचनाओं के अनुसार सरहद पार से घुसपैठियों और आतंकवादियों को उनके आकाओं ने अब नगद राशि की बजाए नशे का जखीरा देना शुरू कर दिया है। नारकोटिक्स की खेप लेकर आतंकी देश की सीमा में घुसते हैं। यहीं पर अपने सामान का बाजार खोजते हैं और बेचकर अपनी पनाह का इंतजाम करते हैं। ऐसे में सीमाओं पर सैनिकों के साथ खोजी कुत्तों की तैनाती कर नशे का खेप लाने वालों को रोकने की तैयारी की जा रही है। इस तरह एक पंथ दो काज हो जाएगा। नशे का बाजार तो रुकेगा ही इसी बहाने घुसपैठियों की भी कमर तोड़ी जा सकेगी।

कस्टम ने मांगे थे पांच सौ कुत्ते

खोजी कुत्तों को प्रशिक्षित करने के लिए महारथ हासिल करने वाले आरवीसी के पास कुछ माह पूर्व ही कस्टम विभाग के डीजी ने संपर्क किया था। उन्होंने अपनी चेकिंग आदि के लिए पांच सौ प्रशिक्षित कुत्तों की मांग की थी। चूंकि आरवीसी इस क्षेत्र में फिलहाल काम नहीं करता, ऐसे में उनकी मांग पूरी नहीं हो सकी।

विस्फोटक पहचानने

में कोई विकल्प नहीं

माइन विस्फोटक या अन्य विस्फोटकों की पहचान में आरवीसी के प्रशिक्षित कुत्तों का कोई तोड़ नहीं। मशीन से जहां माइन डिटेक्शन या विस्फोटकों की पहचान में 50 से 60 फीसदी की सफलता मिलती है वहीं कुत्ते 80 फीसदी तक सटीक होते हैं। अगर कुत्तों को मशीन के साथ मिला दें तो सटीकता 98 फीसदी तक हो जाती है।

6 माह में होते हैं प्रशिक्षित

कुत्तों में सूंघने की क्षमता अमूमन छह माह की उम्र में विकसित होती है। ऐसे में उन्हें छह माह की उम्र से प्रशिक्षित किया जाता है। कुत्तों की बेसिक ट्रेनिंग तीन माह की होती है। जबकि माइन पहचानने या एवलांच में काम करने के लिए अलग से नौ महीने की ट्रेनिंग दी जाती है। गार्ड में तैनात होने वाले कुत्ते 12 माह की उम्र में तैयार हो जाते हैं।

इनका कहना है

नारकोटिक्स की पहचान के मकसद से कुत्तों को प्रशिक्षित करने का प्रस्ताव हमने आगे बढ़ाया है। हरी झंडी मिलते ही नए कार्यक्रम बनाकर प्रशिक्षण का काम शुरू किया जा सकता है।

-मेजर जनरल जगविंदर सिंह, कमांडेंट- आरवीसी सेंटर एंड कालेज।

Courtesy : Jagran

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