नई दिल्ली/ दीपक मंडल, नितिका आहलूवालियाँ।। हर दिन का एक महत्व होता है। फिर चाहे वो खुशी का दिन हो या दुख का। जब बात हो विश्व के विकास के महत्वपूर्ण दिन की तो कहना ही क्या। विश्व मलेरिया दिवस ऐसा ही दिन है जिसे पहली बार 25 अप्रैल 2008 को मनाया गया।
यूनिसेफ द्वारा इस दिन को मनाने का उद्देश्य मलेरिया जैसे रोग पर जनता का ध्यान केंद्रित करना था, जिससे हर साल लाखों लोग मरते हैं।
हर साल विश्व में लाखों लोग एक ऐसी बीमारी के शिकार बन मौत के आगोश में समा जाते हैं जिसकी वजह बहुत छोटी सी होती है। एक छोटे से मच्छरम की वजह से विश्व में हर साल लगभग 5,80,000 मौतें होती हैं। इतनी बढ़ी संख्या में होने वाली मौतों के पीछे अक्सर वजह तो मच्छर होते हैं लेकिन उनके पनपने में हमारा ही हाथ होता है। इस बात को लेकर आज आईएमए में चर्चा की गई ।
आईएमए के महासचिव डॉ के.के अग्रवाल ने लोगों को जागरुक करते हुए कहा की मलेरिया का मच्छर छोटी से छोटी गहराई वाले स्थान पर पनप सकता है। जैसे किसी कोल्ड-ड्रिंक का ढक्कन खाली डिब्बो के ढक्कन इत्यादि ।
होस्पिटल्स में पनपने वाले मच्छरों पर अपनी गहन चिंत्ता प्रकट करते हुए डॉ के.के अग्रवाल ने कहा की अगर किसी होस्पिटल में मच्छर है तो इसके लिए RWA जिम्मेदार होती है एंव होस्पिटल की तरफ से नियम और कानूनो की अनदेखी होती है। उन्होंने ये भी बताया की घरों में पडे रहने वाले छोटे-छोटे बर्तनों मे अगर पानी जमा है तो मच्छरों के अंडे कई दिनों तक उनमे जीवीत रह सकते है। डॉ के.के अग्रवाल ने बताया की मलेरिया को रैपिड डाएगनोस्टिक टेस्ट के जरिये पता लगाया जा सकता है यह टेस्ट किसी भी डाएगनोस्टिक सेंटर पर 20-25 रुपये में कराया जा सकता है।
मलेरिया के मच्छर डेंगू के मच्छर से किस प्रकार अलग होते है
1.मलेरिया का मच्छर तीन दिन में एक व्यक्ति को काटता है जब की डेंगू का मच्छर एक दिन में तिन लोगों को काटता है।
2.मलेरिया 2 प्रकार के होते है विवेक्स और फैल्सिपैरम मलेरिया जबकी डेंगू के 4 प्रकार होते है। डी1, डी2, डी3 और डी4।
3.फैल्सिपैरम मलेरिया में अगर शूरुवाती जांच न करवाई जाए तो वह दिमागी मलेरिया का रुप धारण कर लेता है जिससे मौत भी हो सकती है। जबकी डेंगू में डी2 और डी4 घातक होता है ऐसा नही होता।
मलेरिया और डेंगू की पहचान
1.डेंगू में बूखार बिना जाडे के होता है जब की मलेरिया में ठीक इसके विपरित होता है।
2.मलेरिया के रोगी को पेशाब में जलन नही होती जबकी डेंगू में ठीक इसके विपरित होता है।
3.मलेरिया में बुखार आता जाता रहता है। डेंगू में माथे पर दर्द रहता है।
मलेरिया (Malaria) से निपटने के लिए भारत ने बहुत पहले ही उपाय करने शुरु कर दिए थे। भारत सरकार ने वर्ष 1953 में राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (एनएमसीपी) चलाने के साथ ही डीडीटी का छिड़काव शुरू किया, जबकि वर्ल्ड हेल्थ एसेम्बली के अनुरोध पर वर्ष 1958 में राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (एनएमईपी) और आगे चलकर मॉडिफाइड प्लान ऑफ ऑपरेशन (एमपीओ) नाम से नई योजना शुरू की गई।
लेकिन तमाम कोशिशों और उपायों के बाद भी मलेरिया पर नियंत्रण पाना बहुत ही मुश्किल काम साबित हुआ जिसकी वजह थी जन जागरुकता की कमी। सबसे पहले तो अपने आसपास गंदा पानी जमा ना होने दें, बाल्टी या छत पर रखी टंकी की नियमित तौर पर सफाई करनी चाहिए। पानी की सफाई के साथ एक सबसे अहम बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि यदि आपको कभी मलेरिया हो या उसके लक्षण दिखें तो घर पर ना बैठें बल्कि अपने खून की जांच कराएं और उचित दवाइयां ले। याद रखें कि मलेरिया (Malaria) का इलाज संभव है बस जरुरत है तो सही समय पर उपचार की।