नव संवाददाता, बाहरी दिल्ली : हाल ही में नरेला उपनगरी में आग लगने की घटना से विभाग सबक नहीं ले रहा है, जबकि क्षेत्र में यह घटना आम हो चुकी है। कहने को नरेला में दमकल केंद्र है मगर संसाधनों की कमी से कर्मचारी जूझ रहे हैं। स्थिति यह है कि फायर की एक गाड़ी क्षतिग्रस्त है तो दूसरी क्षेत्र के बाहर दूसरे कॉल पर रहती है। पांच दिन पूर्व ही सफियाबाद के खेतों में आग लगी थी। दमकल गाड़ी के अभाव में किसानों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। सफियाबाद जल संयंत्र से दमकल गाड़ी को मिलने वाले पानी की सुविधा जलबोर्ड ने बंद कर रखी है। पानी के अभाव में कई बार दमकल गाड़ी मौके पर घंटे भर लेट पहुंचती है, ऐसा दमकल कर्मचारियों का कहना है।
दरअसल, नरेला दमकल विभाग के पास एक ही गाड़ी मौके पर मौजूद है। कृषि भूमि क्षेत्र होने से यहां आगजनी की घटना बराबर होती रहती है। इस परिस्थिति में आग से निपटने के पुख्ता इंतजाम विभाग के पास नहीं हैं। कर्मचारी बताते हैं कि दो गाडि़यों में एक क्षतिग्रस्त है तो दूसरी की स्थिति भी अच्छी नहीं है। कई बार दिल्ली के विभिन्न इलाकों में आग लगने की सूचना पर जाना पड़ता है। स्थिति तब भयावह बन जाती है जब एक साथ दो-तीन स्थानों पर आग लगने की सूचना मिलती है। आग बुझाने के लिए गाड़ी में पानी पूर्व में सफियाबाद से मिलता था, जो दमकल स्टेशन के पास ही है। कई साल पूर्व जलबोर्ड ने पानी देने से मना कर दिया। अब पानी के लिए पांच किलोमीटर दूर होलंबी जाना पड़ता है, जबकि सफियाबाद जल सयंत्र से पानी उपलब्ध कराने के लिए कई बार विभाग में लिखित में दिया जा चुका है। फेडरेशन आफ नरेला के अध्यक्ष जोगिंदर दहिया कहते हैं कि कई बार आग लगने की स्थिति में दमकल गाड़ी मौके पर मौजूद नहीं रहती, जबकि नरेला में एशिया की सबसे बड़ी अनाजमंडी भी है।
इस बारे में विधायक जसवंत सिंह राणा कहते हैं कि समाधान की दिशा में जलबोर्ड अधिकारियों से बातचीत की जाएगी, वहीं फायर गाड़ियों की संख्या बढ़ाने के लिए संबंधित विभाग को लिखित में अवगत कराया जाएगा।