नव संवाददाता, नई दिल्ली : वर्ष 1984 के दंगा पीड़ितों को 29 साल भी इंसाफ नहीं मिला। इसे सरकार की नाकामी या इच्छाशक्ति की कमी या फिर कुछ और कहा जा सकता है। यह आम दंगे की घटना नहीं थी, बल्कि कत्लेआम था, जिसमें हजारों मासूमों ने जान गंवाई। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने जंतर-मंतर पर सिख समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही। इससे पहले वह सज्जन कुमार को बरी किए जाने के मामले पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व गृहमंत्री से भी मिले।
बादल ने पिछले पांच दिनों से अनशन पर बैठीं पंजाब की दंगा पीड़ित बीबी निरप्रीत कौर के जुझारूपन का सम्मान करते हुए उन्हें न्याय दिलाने के लिए खुद को तत्पर बताया। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी अमृतसर के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ ने निरप्रीत कौर का अनशन तुड़वाया। इस मौके पर दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके भी मौजूद रहे।
जो बोले सो निहाल की गूंज के बीच सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए बादल ने कहा कि सिख धर्म गुरुओं ने भी यही कहा है कि जुर्म का विरोध आखिरी दम तक करना चाहिए। स्वतंत्रता की लड़ाई में फांसी व कालापानी की सजा पाने वाले सिख वीरों को याद करते हुए उन्होंने देश के प्रति सिखों की प्रतिबद्धता को जाहिर किया। वहीं शिरोमणि अकाली दल बादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि हजारों सिख शहीद हुए, लेकिन एक भी दोषी को सजा नहीं मिली। मुख्य आरोपी सज्जन कुमार को भी सजा की जगह रिहाई मिली, जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मौके पर पंजाब से आए विधायकों व सांसदों ने कहा कि जब तक दंगा पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिल जाता, तब तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी। इंसाफ के लिए लोग सड़कों पर उतरेंगे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली पुलिस व सरकार के विरोध में नारे भी लगाए। इस बीच दिल्ली पुलिस से प्रदर्शनकारियों की हल्की झड़प भी हुई।