नव संवाददाता, नई दिल्ली : पैसे लेकर अवैध निर्माण कराने के मामले में आरोपी आठ पूर्व पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर लोकायुक्त द्वारा की गई सिफारिश को उपराज्यपाल द्वारा स्वीकार न करने संबंधी निर्णय को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी मुरुगेसन व न्यायमूर्ति जयंतनाथ की खंडपीठ ने आरोपी पार्षदों, उपराज्यपाल, दिल्ली पुलिस व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले की सुनवाई 17 जुलाई को होगी।
हाईकोर्ट में एक संस्था ने जनहित याचिका दायर कर बताया कि जनसेवकों के भ्रष्टाचार मामलों में दिए गए फैसलों में लोकायुक्त की अहमियत को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। याचिकाकर्ता के मुताबिक, लोकायुक्त ने रुपये लेकर अवैध निर्माण कराने के मामले में आठ निगम पार्षदों अनिता कोली, सतेश्वरी जोशी, मंजू गुप्ता, वीना ठाकुरिया, जयश्री पवार, रवि प्रकाश शर्मा व अजीत टोकस एवं एक अन्य को दोषी ठहराते हुए उपराज्यपाल से उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास करवाने की सिफारिश की थी।
उन्होंने कहा था कि सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कार्रवाई बनती है। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिका के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 7 दिसंबर 2011 को समाचार पत्रों में एक स्टिग ऑपरेशन के जरिए खुलासा हुआ कि करीब एक दर्जन पार्षद व उनके रिश्तेदार पैसे लेकर अवैध निर्माण करवा रहे थे।