नई दिल्ली।। समावेशी विकास के प्रयासों पर जोर देते हुए खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने देशभर के दस्तकारों व शिल्पकारों को बढ़ावा दिया है। 33वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में इनकी खूबसूरत कारीगरी को देखा जा सकता है।
हाल संख्या 15 में खादी पवेलियन में भारतीय दस्तकारों की समृद्ध सास्कृतिक एवं कलात्मक दक्षता को प्रदर्शित किया गया है। खादी उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इस बार इसके 250 स्टॉल लगाए गए हैं, जबकि पिछली बार 175 स्टॉल लगाए गए थे।
इन स्टॉलों पर बंगाल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा व झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों सहित देश भर के कई राज्यों के बुनकरों तथा कलाकारों द्वारा बनाए गए खादी सूती, खादी सिल्क, खादी पालीवस्त्र, खादी ऊनी व हाथ से बुने पोशाक उपलब्ध हैं।
वहीं ग्रामीण दस्तकारों व आदिवासी कलाकारों द्वारा लकड़ियों पर नक्काशी कर विभिन्न प्रकार के सजावटी सामान बनाए गए हैं। जिसमें सोला नाम की हल्की लकड़ी से बनाए गए कई तरह के फूल लोगों को बरबस अपनी ओर खींच रहे हैं। जबकि बास के फर्नीचर तथा पारंपरिक जनजातीय आभूषण भी लोगों की पसंद बने हुए हैं।
खादी आजादी की कहानी व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद दिलाती है। आज खादी फैशन का प्रतीक भी बन चुका है। यही वजह है कि स्टॉलों की संख्या बढ़ाई गई है।
इस दौरान यहां आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी खादी की लोकप्रियता बढ़ाने में सहायक साबित हो रहे हैं, क्योंकि कारीगर व कलाकार एक दूसरे के पूरक हैं।