नई दिल्ली।। भारत में घरेलू तकनीक से विकसित परमाणु सक्षम अग्नि-5 अंतरद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के अगले 12 महीने में तीन और परीक्षण होंगे। यह मिसाइल बीजिंग तक मार कर सकती है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने कहा कि हमें दो-तीन और परीक्षण करने की जरूरत है। हम उम्मीद करते हैं कि मध्य-2016 तक मिसाइल सेना में शामिल करने के लिए तैया हो जाएगी।
5,000 किलोमीटर मारक क्षमता वाली यह मिसाइल बार-बार अपनी समय-समय सीमा से चूकती रही है। यह एक टन मुखास्त्र ले जाने में सक्षम है। मिसाइल के पहले ही तीन परीक्षण हो चुके हैं। अंतिम परीक्षण एक कनस्तर से किया गया था। मिसाइल से संबंधित घटनाक्रमों के बारे में जानकारी रखने वाले डीआरडीओ के अधिकारियों के अनुसार, अगले 12 महीनों में दो-तीन परीक्षण और होंगे। अग्नि-5 का अबतक तीन बार परीक्षण हो चुका है।
इसका परीक्षण अप्रैल 2012 में और उसके बाद सितंबर 2013 में हुआ था। तीसरा परीक्षण 31 जनवरी को एक सचल कनस्तर से किया गया था। कनस्तर वाली मिसाइल में एक काफी लंबी शेल्फ-लाइफ होती है। चूंकि कंटेनर विशेष इस्पात का बना होता है, लिहाजा वह मिसाइल के दागे जाने के समय विस्फोट को सोख लेता है।
कनस्तर के जरिए होने वाले मिसाइल लॉन्च में कनस्तर के अंदर मौजूद एक गैस उत्पादक मिसाइल को लगभग 30 मीटर तक बाहर निकालता है। उसके बाद एक मोटर के जरिए मिसाइल को दागा जाता है। चूंकि लॉन्च की प्रक्रिया एक कनस्तर के अंदर होती है, लिहाजा प्रक्षेपक पर किसी जेट विक्षेपक की आवश्यकता नहीं पड़ती। उपयोगकर्ताओं को अधिक सुविधा देने के अतिरिक्त कनस्तर आधारित मिसाइल अत्यंत अल्प अवधि में और कम श्रमशक्ति में लांच की सुविधा प्रदान करती है। अधिकारी ने कहा कि पिछला लॉन्च अबतक का सबसे निर्बाध रहा था। कोई बाधा नहीं पैदा हुई और पूरी प्रक्रिया ढाई घंटे में पूरी हो गई।
सौ. ibn khabar