लाहौर। मानवाधिकार हनन के लिए कुख्यात लाहौर के कोट लखपत जेल की बर्बरता का इतिहास काफी पुराना है। भारतीय कैदियों पर अमानवीय जुल्म की कहानियां आए दिन इस जेल से छनकर बाहर निकलती रहती हैं। कोट लखपत जेल में इस वर्ष ही बेइंतहा जुल्म एवं बर्बर पिटाई के कारण दो भारतीय कैदियों की मौत हुई है। जनवरी में पहले जम्मू निवासी चमेल सिंह की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई। उसके बाद मौत की सजा पाए सरबजीत सिंह पर 26 अप्रैल को जेल में प्राणघातक हमला हुआ। बुधवार देर रात उन्होंने जिन्ना अस्पताल में दम तोड़ दिया।
सरबजीत और चमेल की मौत के बाद कोट लखपत जेल में बंद 36 अन्य भारतीय कैदी बेहद डरे हुए हैं। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार उनमें भय और असुरक्षा का माहौल घर कर गया है। हर कोई इस आशंका से सहमा हुआ है कि अब किसकी बारी है। चमेल सिंह की जब मौत हुई थी तो उस समय भी पाकिस्तान ने घोर लापरवाही बरती थी। गंभीर हालत में उन्हें भी जेल से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में ही लाया गया था। जहां डॉक्टरों ने चमेल का मृत घोषित कर दिया था। उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि मौत तो 15 जनवरी को हुई, लेकिन उनके शव का पोस्टमार्टम 13 मार्च को लाहौर के जिन्ना अस्पताल में कराया गया।
रिपोर्ट में चमेल के पार्थिव शरीर पर चोट के निशान पाए जाने का जिक्र था। कोट लखपत जेल की क्षमता चार हजार कैदियों की है, लेकिन वर्तमान में इसमें 17 हजार लोग कैद हैं।