नव संवाददाता, पूर्वी दिल्ली :
पुलिस किस तरह दबाव में काम करती है, इसका खुलासा एक आरटीआइ में हुआ। जब एक अधिकारी कार्यालय में मौजूद था तो उन्हें लोगों को भड़काने और पुलिस पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
दरअसल, 21 फरवरी 2007 में रोहिणी स्थित उत्सव विहार में डीडीए और दिल्ली पुलिस मिलकर सड़क निर्माण कराने के लिए कब्जा कार्रवाई कर रही थी। इसके बाद 22 फरवरी की सुबह कब्जा कार्रवाई की जमीन मालिक मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों से मिलने के लिए जा रहे थे। तभी रामा विहार बस स्टैंड के पास पुलिसकर्मियों ने लोगों को घेर लिया और वे उन्हें वापस जाने के लिए कहने लगे। विरोध झड़प में तब्दील हो गयी। इसके बाद कंझावला थाना पुलिस ने रामा विहार से सटे सुखबीर नगर कॉलोनी व उत्सव विहार में रहने वाले 22 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस गिरफ्तारी में प्रदीप गुप्ता नामक भी शामिल थे, जो राष्ट्रीय अल्प संख्यक विकास एवं वित्त निगम में वरिष्ठ सहायक प्रशासन के पद पर कार्यरत हैं।
विभाग का दफ्तर स्कोप मीनार लक्ष्मी नगर में है। इन पर आरोप लगाया गया कि इन्होंने 21 फरवरी की सुबह करीब 11.45 बजे उत्सव विहार के लोगों को भड़काया और 22 फरवरी को झड़प के दौरान कांस्टेबल सुशील पर ईट से प्रहार किया था। इसमें सुशील घायल हो गया था। इस घटना के बाद प्रदीप गुप्ता के विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया। हालांकि विभागीय जांच के दौरान पौने तीन माह बाद उन्हें बहाल कर दिया गया। इसी बीच प्रदीप ने कई बार आरटीआइ लगाया, लेकिन उन्हें मुकम्मल जवाब नहीं मिला। विभाग ने जानकारी दी कि वह 21 फरवरी 2007 को सुबह से शाम तक कार्यालय में मौजूद थे। ऐसे में प्रश्न ही नहीं उठता है कि वह 21 फरवरी को उत्सव विहार के लोगों को भड़का रहे थे। इसके बाद दिल्ली पुलिस में लगातार आरटीआइ लगाकर जवाब मांगा गया। इसमें 24 जनवरी 2013 को दिल्ली पुलिस ने कांस्टेबल सुशील के अस्पताल में दाखिल होने को माना, लेकिन अगले कई दिन तक वह लगातर ड्यूटी पर था।