रणविजय सिंह, नई दिल्ली
लाहौर के जिन्ना अस्पताल में सरबजीत सिंह की मौत से देशवासियों के साथ तिहाड़ के कैदियों में भी रोष है। कैदियों की नाराजगी को देखते हुए तिहाड़ प्रशासन ने यहां बंद पाकिस्तानी नागरिकों की सुरक्षा बढ़ा दी है। आम कैदियों को पाकिस्तानी कैदियों से मिलने पर भी रोक लगा दी गई है। तिहाड़ में फिलहाल 20 पाकिस्तानी हैं, जिसमें 11 आतंकवादी हैं। इसके अलावा राजधानी दिल्ली में चरस, अफीम, हेरोइन, गांजा जैसे नशीला पदार्थ पहुंचाने वाले नौ पाकिस्तानी एनडीपीएस एक्ट में बंद हैं।
जेल सूत्रों के अनुसार, एनडीपीएस एक्ट में बंद पाकिस्तानियों को सामान्य कैदियों के साथ जनरल वार्ड में रखा जाता था। तिहाड़ के कैदियों में गुस्से को देखते हुए इनकी सुरक्षा चौकस कर दी गई है। इन्हें जनरल वार्ड के बैरक से हटाकर अलग सेल में रख दिया गया है। वहीं 11 आतंकवादियों को अलग-अलग जेलों के हाई सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया है। वार्ड के बाहर तमिलनाडु पुलिस के जवानों का पहरा है। सीसीटीवी से भी निगरानी रखी जा रही है।
यहां आराम से कट रहे दिन
सुबह जगते ही ब्रेड के साथ चाय। फिर 11 बजते ही खाने की थाली हाजिर। मन किया तो वार्ड से निकलकर टहल लिया, वरना खाना खाने के बाद सेल में खर्राटे लेने चले गए। दोपहर में चाय लेने के बाद पाकिस्तानी कैदियों के साथ गपशप व सूर्य के ओझल होते ही खाना खाकर बिस्तर पर चले गए। यह दिनचर्या तिहाड़ जेल में बंद 11 पाकिस्तानी आतंकवादियों की है। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में कैदियों की पिटाई से घायल सरबजीत की भले ही जान चली गई, लेकिन ये पाकिस्तानी कैदी यहां मुफ्त की रोटी तोड़ रहे हैं। रोज सुबह करीब 5.30 बजे पाकिस्तानी कैदी नमाज अदा करते हैं। उन्हें करीब सात बजे तक चाय व दो ब्रेड नाश्ते में मिल जाता है। सुबह 11 बजे दाल, रोटी, सब्जी व चावल की थाली खाने को मिलती है। इन्हें खाना लेने भी नहीं जाना पड़ता। खाना वार्ड में पहुंचाया जाता है। दोपहर में तीन बजे चाय व शाम 6.30 बजे फिर खाना मिल जाता है। सब कुछ टाइम पर होता है। इसके अलावा वे जिस जेल में बंद होते हैं, उस जेल में दूसरे पाकिस्तानी कैदियों से मिलने भी दिया जाता है। सामान्य दिनों में भारतीय कैदियों से भी बातचीत करते हैं। जेल सूत्रों के अनुसार, सरबजीत की हत्या से पाकिस्तानी कैदी सहमे हुए हैं। फिलहाल वे वार्ड से बाहर नहीं निकल रहे।
आतंकवादियों से नहीं लेते काम
यहां बंद पाकिस्तानी आतंकवादियों में से मोहम्मद हीदर, मोहम्मद हनीफ, मोहम्मद जावेद व अमजद अली दस साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। सुरक्षा कारणों से इन्हें जेल में काम नहीं करना पड़ता। तबियत बिगड़ने पर इलाज भी मुफ्त होता है। डॉक्टर इनके वार्ड तक चलकर आते हैं। लाल किला कांड का दोषी मोहम्मद आरिफ को फांसी की सजा हुई है, जो इन दिनों तिहाड़ का खास मेहमान है।