भारत की ओर से ईरान से खरीदे जाने वाले कच्चे तेल में 20 पर्सेंट तक की कमी किए जाने के फैसले के बाद खाड़ी देश ने यह फैसला लिया है। पूरे मामले से जड़े सूत्रों ने बताया कि नैशनल ईरानियन ऑइल कंपनी की ओर से भारतीय रिफाइनर्स के लिए क्रेडिट पीरियड को 90 से घटाकर 60 दिन तक किया जा सकता है। मैंगलोर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन को ईरान की कंपनी रकम चुकाने के लिए 3 महीने तक का वक्त देती है, लेकिन अब इस छूट को 2 महीने तक के लिए ही सीमित किया जा सकता है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक क्रूड ऑइल की शिपिंग पर दिए जाने वाले डिस्काउंट में भी ईरान की ओर से कटौती की जा सकती है। इस तरह ईरानी कंपनी की ओर से कच्चे तेल की खरीद पर कम इनसेंटिव दिए जाने पर उससे खरीददारी करना महंगा होगा। ईरान की कंपनी की ओर से भारत को लेकर यह कदम ऐसे वक्त में उठाने पर विचार चल रहा है, जब सऊदी अरब और इराक तेल बाजार में अपने मार्केट शेयर को बढ़ाने की कोशिशों में जुटे हैं।
पश्चिमी देशों की ओर से परमाणु प्रतिबंध वापस लिए जाने के बाद ईरान की ओर से भारत को बेचे जाने वाले तेल में 2016 में दोगुने तक का इजाफा हो गया था। दुनिया भर में तेल की डिमांड के केंद्र के तौर पर उभर रहा भारत ईरान से क्रूड खरीदने वाला दूसरा सबसे बड़ा कस्टमर है। भारतीय कंपनी ओएनजीसी विदेश लिमिटेड के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम की ओर से खाड़ी देश में खोजे गए फरजाद-बी गैस फील्ड के डिवेलपमेंट राइट्स को लेकर ईरान और भारतीय कंपनियों के बीच तनातनी है। इस मसले पर ईरान के नकारात्मक रुख के बाद भारत के पेट्रोलियम मंत्रालय ने कंपनियों से कहा है कि वे ईरान से खरीदने जाने वाले तेल में 20 पर्सेंट तक की कटौती के लिए तैयार रहें है।