भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2017-18 के लिए पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा जारी कर दी. इसमें आरबीआई ने एक बार फिर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इस समय रेपो रेट 6.25 फीसदी है. आरबीआई ने आठ फरवरी की मौद्रिक नीति की समीक्षा में भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था. रेपो रेट वह ब्याज दर होती है, जिसे व्यावसायिक बैंकों को आरबीआई से कर्ज लेने पर चुकाना पड़ता है. इसमें बढ़ोतरी से जनता को मिलने वाला कर्ज महंगा हो जाता है, क्योंकि ब्याज दरें बढ़ जाती हैं.
हालांकि, आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसदी से बढ़ाकर छह फीसदी करने का फैसला किया है. रिवर्स रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर आरबीआई को व्यावसायिक बैंकों की अपने पास जमा राशि पर ब्याज चुकाना पड़ता है. यह बाजार में नकदी की मात्रा को नियंत्रित करने का उपकरण है. इसमें बढ़ोतरी से बैंक अपनी अतिरिक्त राशि को रिजर्व के पास जमा करा देते हैं.
रेपो रेट में बदलाव न करने के फैसले के पीछे आरबीआई ने महंगाई को प्रमुख वजह बताया है. आरबीआई का कहना है कि मानसून के कमजोर रहने से खाद्य क्षेत्र की महंगाई में बढ़ोतरी हो सकती है. उसने 2017-18 की पहली छमाही में महंगाई दर 4.5 फीसदी और दूसरी छमाही में पांच फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. हालांकि, महंगाई पर काबू करने के सवाल पर केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह बाजार से अतिरिक्त नकदी (तरलता) को घटाने के लिए कदम उठाने पर ध्यान देगा. इससे साथ केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में विकास दर 7.4 फीसदी रहने का पूर्वानुमान लगाया है जो बीते वित्त वर्ष में 6.7 फीसदी की विकास दर से ज्यादा है.