बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत दौरे पर नई दिल्ली पहुंच गई हैं. अपने मौजूदा कार्यकाल में हसीना का ये पहला भारतीय दौरा है. उम्मीद है कि चार दिनों के दौरे में दोनों देशों के ताल्लुकात नई ऊंचाइयों को छुएंगे. लेकिन शनिवार को जब बांग्लादेशी पीएम मोदी से रु-ब-रू होंगी तो उनके जेहन में जून 2015 में मोदी की वो टिप्पणी भी होगी, जिसे कई लोगों ने महिलाओं के लिए अपमानजनक माना था.
क्या कहा था मोदी ने?
2015 में मोदी का बांग्लादेश दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक था. उन्होंने सीमा समझौते पर मुहर लगाकर बांग्लादेश के साथ 40 साल पुराने विवाद को सुलझाया और ढाका को 2 बिलियन डॉलर का कर्ज देकर चीन के बांग्लादेश पर बढ़ते असर को रोकने की कोशिश की. लेकिन ढाका यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करते हुए वो कुछ ऐसा कह बैठे जो दुनिया भर में सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना. मोदी का कहना था कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने महिला होने के बावजूद आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. हालांकि मोदी के करीब डेढ़ घंटे लंबे भाषण के कई हिस्सों को दोनों देशों में सराहा गया लेकिन कई लोगों ने इस टिप्पणी को महिलाओं के लिए अपमानजनक माना था.
आतंकवाद पर सख्त हसीना
मोदी ने हसीना की तारीफ के लिए अल्फाज भले ही गलत चुने हों, लेकिन आतंकवाद के मसले पर बांग्लादेशी पीएम के रवैये का लोहा दुनिया भर में माना गया है. चाहे पाकिस्तान के खिलाफ दो-टूक हो या उनके देश में इस्लामिक कट्टरवाद के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई, हसीना ने बांग्लादेशी सियासत के धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी चरित्र को बचाने के लिए बड़ा सियासी जोखिम उठाया है.
दौरे से उम्मीदें
भले ही शेख हसीना अपने मौजूदा कार्यकाल में पहली बार भारत आई हों लेकिन मोदी के साथ वो चार बार मुलाकात कर चुकी हैं. उम्मीद है कि दोनों देश इस दौरे में रक्षा और कारोबार से जुड़े करीब 25 समझौतों पर दस्तखत करेंगे. जानकारों की नजर दोनों देशों के बीच लंबे वक्त से अटके तीस्ता जल बंटवारे से जुड़े समझौते पर भी होगी. हालांकि केंद्र सरकार इस समझौते पर राजी है लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार को इस पर ऐतराज है. भारत ने बांग्लादेश को रक्षा क्षेत्र में भारतीय कंपनियों से खरीद के लिए 500 मिलियन डॉलर का कर्ज देने का भी प्रस्ताव दिया है. दोनों देशों के बीच सैन्य प्रशिक्षण और रक्षा अनुसंधान में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बन सकती है.