यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली प्रचंड जीत और फिर योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाने का फैसला देश के एक बड़े तबके के लिए हैरानी वाला था. गोरखपुर से 5 बार सांसद रहे योगी आदित्यनाथ अपने उग्र हिन्दुवादी विचारों को लेकर विवादास्पद चेहरे में ही शुमार किए जाते रहे हैं. ऐसे में आदित्यनाथ को राज्य का सीएम बनाए जाने को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों की क्या राय है? यह जानने के लिए की टीम यहां छात्रों-शिक्षकों से बात करने के लिए पहुंची.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना 1875 में हुई थी और आज यह भारत के शीर्ष रैंकिंग विश्वविद्यालयों में से एक है. इस केंद्रीय विश्वविद्यालय से कई महान लोग पढ़कर निकले हैं. यहां 1100 एकड़ के इस परिसर में भारत के कुछ बेहतरीन प्रोफेसर हैं. यहां 50% से अधिक मुस्लिम छात्र पढ़ते हैं और ये विश्वविद्यालय पिछले कुछ सालों से अल्पसंख्यक दर्जा पाने के लिए लड़ रहा है.
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद से ही परिसर में एक अलग सा माहौल दिख रहा है. छात्रों को इस नए शासन को लेकर संदेह है. योगी के सीएम बनने के बाद से ज्यादातर छात्र और प्रोफेसर उनकी खुले तौर पर आलोचना करने से डरते दिखे. वहीं एक प्रोफेसर ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'मुझे इस पर कुछ नहीं ही बोलना चाहिए, क्योंकि मुझे पता है मैंने कुछ कहा तो RSS वाले मुझे नहीं छोड़ेंगे. हम सभी जानते हैं कि वह किस तरह का आदमी है, और वैसे भी अब इस पर अपनी राय बताने का क्या फायदा?'
यूजीसी के अंतर्गत होने के कारण छात्रों और प्रोफेसरों का मानना है कि उन्हें इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा कि मुख्यंमंत्री कौन है. विश्वविद्यालय के लिए अल्पसंख्यक दर्जा कायम रखने की लड़ाई और नए वाइस चांसलर की खोज में व्यस्तता के बीच उनका कहना है कि राज्य सरकार का विश्वविद्यालय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. हालांकि वे सभी यह जरूर कहते हैं कि बीजेपी के योगी आदित्यनाथ जैसे आदमी को मुख्यमंत्री के तौर पर चुनने के निर्णय से वे काफी हैरान हैं.
ऐसे ही प्रोफेसर अली नदीम नक्वी ने कहा, 'एक ऐसे विभाजनकारी व्यक्ति का चुना जाना, हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमारे देश में क्या हो रहा है.' वहीं मास कम्युनिकेशन विभाग के प्रोफेसर शाफे किदवई कहते हैं, 'AMU में देश के हर हिस्से से छात्र आते हैं, ऐसे में इसका सांस्कृतिक रूप से असर जरूर पड़ेगा. इसका हमारे छात्रों पर काफी निराशाजनक प्रभाव पड़ सकता है, जिन्हें अब ये लग रहा होगा कि इस सरकार में उनका उचित प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं है'.
इस बीच AMU के कुछ छात्र ऐस भी हैं, जिन्हें इस नए शासन से कुछ उम्मीदें भी हैं. एमए के छात्र अब्दुल कहते है, 'वह भारत को एकजुट करके रखने के लिए उपयुक्त व्यक्ति नहीं है. हालांकि अब जब वह मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने कहा है कि वो सभी लोगों को समान अवसर देंगे. तो हम इंतजार करेंगे और देखेंगे'.
वहीं एक अन्य छात्र नितिन ने कहा, 'हम सब हैरान थे, लेकिन वो बार-बार गोरखपुर से चुने गए हैं. हमें तो नौकरियां और विकास चाहिए, जिसके वादे उन्होंने किए हैं. इसलिए उन्हें एक मौका तो मिलना ही चाहिए.'
विश्वविद्यालय के एक अन्य छात्र ने कहा, 'धर्म आज राजनीति का जरिया बन गया है. लेकिन हमें इसकी परवाह नहीं. हमें रोज़गार, वाईफाई और बुनियादी सुविधाएं चाहिए. श्मशान-कब्रिस्तान सब मरने के बाद की बात है. अल्लाह तय करेगा मैं कहा जाऊंगा. फिलहाल तो आज पर ध्यान देने की जरूरत है.'
योगी का AMU के साथ कुछ अलग अतीत जुड़ा हुआ है. यूपी के मुख्यमंत्री के स्थापित संगठन हिंदू युवा वाहिनी के एक सदस्य ने AMU को 'आतंक की नर्सरी' बताया था और AMU के लोगों के ISIS से संबंध की बात कही थी.
हालांकि, ज्यादातर छात्रों का कहना है कि योगी ने हाल ही में अपनी इमेज में जो बदलाव लाए हैं, उस पर उन्हें यकीन है. आज़म ने कहा, 'शीर्ष तक पहुंचने के लिए भले ही नेता सांप्रदायिकता का सहारा लेते हों, लेकिन एक बार वे वहां पहुंच गए, तो वे सबका साथ, सबका विकास का ही पालन करते हैं'.