पाने में समर्थ हो सकती है जिसकी जड़ें मौलिकता की खाद से उर्वरा शक्ति पाती हैं। मन के मैलेपन से विकसित और पनपी प्रवृत्ति व्यक्ति को किसी भी मुकाम पर छोड़ देने के लिए विवश हो सकती है। आस्था भक्ति, प्रेम, अपनत्व व आनंद की आधारशिला है।
आस्था के पवित्र सरोवर में खिले भावकमल ही प्रभुकृपा का उत्तम प्रसाद पाने के एकमात्र अधिकारी हैं। आस्था की दृढ़ता अपने और अपने आराध्य के मध्य मिलन की दूरी व खाई को पाट देती है। आस्था अपने मंतव्य, गंतव्य व आराध्य को पाने की वह जादुई डोरी है जिसकी शक्ति, भक्ति व सामथ्र्य से प्रभु, प्रेमी व लक्ष्य स्वयं ही उसकी ओर आकर्षित होते चले आते हैं। पक्के और दृढ़ इरादों से विरचित आस्था के मंसूबे धारक को उसकी मनोकामनाओं की अंतिम मंजिल तक पहुंचाने की गारंटी देते हैं। आस्था अपने साथ विश्वास, नैतिकता, मूल्य व जीवटता को लेकर चलती है। आस्था भटकते राहगीरों और जीवन सागर में दिशाहीन होकर क्रूर समय के थपेड़े खाते मानव व जीव समुदाय को सही राह दिखाती है।
आस्था के बगैर कोई भी व्यक्ति जीवन लक्ष्य में आनंद पाने की कल्पना नहीं कर सकता। आस्था सतोगुणी मूल्यवान सृष्टि की रचना करती है जिसका उद्देश्य विशुद्ध रूप से आराधना में पवित्रता के साथ-साथ जीवन को एक उत्तम उद्देश्य के लिए प्रेरित करना होता है। आस्था की प्रबलता प्रभु की अपने प्रति करुणा और प्रीति के बढ़ने की द्योतक होती है। उत्साह भी आस्था की ही आत्मजा है जो इससे प्रेरणा पाकर प्रभु मिलन व उनके साक्षात्कार में सहायक होती है। आस्था पवित्र भावों की वह मंदाकिनी है जिसमें स्नान करने के लिए देवगण स्वयं ही उत्कंठित रहते हैं। आस्था ही भक्ति व भक्त का कवच है। पावन आस्था की ही परिणति है कि प्रभु राम व माता सीता सदैव अपने भक्त पवनपुत्र हनुमान के हृदय में ही विराजमान रहते हैं। आस्था भक्त के पास ईश्वरीय अनुकंपा की अमोघ शक्ति है जिससे वह किसी भी पावन जीवन लक्ष्य की प्राप्ति में सफल हो सकता है। जीवन के अनमोल वैभवों को पाने और आत्मिक व असली आनंद प्राप्ति का मूल मंत्र आस्था है। समृद्धि, खुशहाली, भौतिक, आध्यात्मिक उन्नति और आनंद की जीवन डोर है आस्था। आओ इसे अपनाकर इस मानव जीवन को सफल और अनुकरणीय बनाएं।