मेरठ : नई उम्र लग्जरी लाइफ और नए दोस्त। मौज मस्ती है तो खर्च होगा और खर्च को पूरा करने के लिए अपराध आसान रास्ता नजर आता है। महानगरों में परिजनों की अनदेखी और गलत संगत में उनके लाडले बिगड़ैल होते जा रहे हैं। छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपराध का रास्ता अपनाया जा रहा है। इनका रिकार्ड नहीं होने से यह पुलिस के लिए भी सिरदर्द बनते जा रहे हैं। ये क्राइम वर्ल्ड में ऐसे घुसते हैं कि फिर संभलने का मौका नहीं मिलता। पिछली वारदातों पर नजर दौड़ाएं तो जनपद में ऐसे कई मामले प्रकाश में आए जहां लाडले अपराध करते दिखे, इनकी हरकतों ने पुलिस के साथ पब्लिक को सोचने पर मजबूर कर दिया।
30 अप्रैल को नोएडा विश्वविद्यालय के छात्र कुणाल और साहिर का अपहरण छात्रों ने किया था। इसमें दरोगा का बेटा यशवीर फिजिकल इंस्ट्रक्टर का कोर्स कर रहा है, जबकि सोमवीर जैवलिन थ्रो का गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी है। वहीं विवेक व सोहिल बीटेक पास हैं। इन सब छात्रों ने तो 85 लाख की फिरौती वसूली। एसटीएफ ने सभी को गिरफ्तार किया तो पता चला की खर्च पूरा करने के लिए अपहरण की वारदात को अंजाम दिया था। 2 मई को एक करोड़ की हेरोइन के साथ जो गैंग पकड़ा गया, उसमें भी सोनू उर्फ कुंवर पाल दसवीं पास है, तो मुनेश ने बीसीए व मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है। हेमेन्द्र और दुष्यंत भी बीसीए कर चुके हैं। जानी में एक सप्ताह पूर्व सिपाही के बेटे व पूर्व इंटरनेशनल खिलाड़ी नितिन ने लग्जरी गाड़ियों के शौक में लूट की वारदात को अंजाम दिया था।
इन्होंने कहा....
वर्किंग कल्चर के कारण परिजन बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं। इससे यह होता है कि बच्चे गलत और सही रास्ते का चुनाव नहीं कर पाते। परिजनों को चाहिए की बच्चों से दोस्तों की तरह बातें कर उन्हें अच्छे-खराब की शिक्षा दें।
डा. सोना कौशल, मनोचिकित्सक
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गलत संगत में पड़ने के कारण संभ्रांत परिवारों के बच्चों की संलिप्तता अपराधिक वारदातों में हो रही है। इनका कोई रिकार्ड नहीं होने पर पुलिस के लिए भी चुनौती बने है। पिछली कई वारदातों में कुछ ऐसे ही युवाओं के मामले सामने आए हैं।
-दीपक कुमार, एसएसपी।