जासं, नई दिल्ली : धार्मिक परंपराओं से इतर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में ऑल इंडिया बैकवर्ड स्टूडेंट फोरम के बैनर तले आदिवासी छात्रों ने असुर राजा महिषासुर का शहादत दिवस मनाया। सामाजिक विज्ञान आडिटोरियम में हुए कार्यक्रम में कई साहित्यकारों, समाज सेवकों व पत्रकारों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में पटना से शिरकत करने पहुंचे लेखक प्रेम कुमार मणि ने कहा कि पिछड़े वर्ग के लोग इतिहास और मिथकों में अपना नायक ढूंढ रहे हैं। महिषासुर पशु पालक जातियों के राजा थे। बैल पर सवारी करने वाले शिव की तरह ही महिषासुर अनार्यो के प्रतापी राजा थे। वहीं इंडियन जस्टिस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदित राज ने कहा कि धर्म का पूंजीवाद से गठजोड़ समाज को विषाक्त कर रहा है। वक्ता तुलसी राम ने कहा कि हिंदुत्ववादी ताकतें समय- समय पर अपना खोया हुआ वर्चस्व कायम करने के लिए जोर आजमाइश करती हैं। वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया ने कहा कि पिछड़े वर्गो को सांस्कृतिक वर्चस्व के जरिए अपना गुलाम बनाया जा रहा है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका भाषा की है। कार्यक्रम में फारवर्ड प्रेस के संपादक प्रमोद रंजन द्वारा संपादित महिषासुर-एक पुर्नपाठ का लोकापर्ण किया गया।